नई दिल्ली, 17 अगस्त 2025 | पढ़ने का समय: 4 मिनट
सारांश:
अमेरिका में वैज्ञानिक एक ऐसी टेक्नोलॉजी पर काम कर रहे हैं जो जन्म से पहले ही बच्चे के IQ स्तर का पता लगा सकती है। दावा है कि भविष्य में यह तकनीक ऐसे बच्चों के चयन में मदद करेगी जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से भी ज्यादा तेज दिमाग वाले साबित हो सकते हैं।
क्या इंसानों के दिमाग को बनाया जाएगा AI से भी तेज?
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) दुनिया को बदल रहा है, लेकिन अब अमेरिका में वैज्ञानिक इससे भी आगे की तैयारी कर रहे हैं। एक नई तकनीक विकसित हो रही है जो भ्रूण के जीन और दिमागी क्षमता का अध्ययन कर सकती है। इसका सबसे बड़ा दावा है कि बच्चे के जन्म से पहले ही यह बता देगी कि उसका IQ कितना होगा।
In English - America’s AI-Genetics Project :Is America Really Trying to Engineer Smarter Babies Before Birth?
कहा जा रहा है कि यह टेक्नोलॉजी भविष्य में ‘सुपर इंटेलिजेंट’ बच्चों के जन्म का रास्ता खोल सकती है। यानी माता-पिता अपने बच्चों का चयन सिर्फ स्वास्थ्य और जेनेटिक बीमारियों के आधार पर ही नहीं, बल्कि दिमागी क्षमता के आधार पर भी कर पाएंगे।
अमेरिका में किस स्तर पर है रिसर्च?
यह रिसर्च अमेरिका की कुछ बड़ी यूनिवर्सिटीज़ और प्राइवेट बायोटेक कंपनियों द्वारा मिलकर की जा रही है। उनका दावा है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एल्गोरिद्म के जरिए भ्रूण के DNA को स्कैन कर यह अनुमान लगाया जा सकता है कि बच्चे का IQ औसत से ज्यादा होगा या नहीं।
हालांकि अभी यह प्रयोग शुरुआती स्तर पर है, लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि अगले दशक में इसका व्यावसायिक उपयोग संभव हो सकता है।
नैतिक विवाद भी शुरू
इस तकनीक को लेकर नैतिक सवाल भी उठ रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर IQ-आधारित बच्चे पैदा करने का ट्रेंड शुरू हुआ तो समाज में असमानता और भेदभाव और ज्यादा गहरा सकता है। अमीर परिवार इस तकनीक का ज्यादा इस्तेमाल करेंगे और इससे “सुपर स्मार्ट” बनाम “साधारण” बच्चों की बहस छिड़ सकती है।
क्या यह सचमुच AI को टक्कर देगा?
वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर इंसानी दिमाग को पहले से ही बेहतर IQ के साथ जन्म देने की क्षमता मिलती है, तो भविष्य में यह AI से मुकाबला कर सकता है। हालांकि AI की रफ्तार और उसकी निरंतर सीखने की क्षमता इंसानों के लिए फिर भी चुनौती बनी रहेगी।
आगे की राह
फिलहाल, यह टेक्नोलॉजी रिसर्च और ट्रायल के दौर में है। लेकिन यदि यह सफल हुई तो शिक्षा, रोजगार और समाज की पूरी तस्वीर बदल सकती है। सवाल यह है कि क्या हम सच में ऐसे भविष्य की तैयारी कर रहे हैं जहां बच्चे सिर्फ इंसान नहीं बल्कि “AI को मात देने वाले” पैदा होंगे?













