स्थान: न्यूयॉर्क | तारीख: 2 अक्टूबर 2025 | रीड टाइम: ~4 मिनट
सारांश:
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस अब केवल चैटबॉट या कोडिंग टूल तक सीमित नहीं है। यह डॉक्टर, वकील और कॉरपोरेट कंसल्टेंट जैसे प्रोफेशनल क्षेत्रों में भी कदम रख चुका है। मेडिकल स्कैन से लेकर कानूनी दस्तावेज़ और बिज़नेस स्ट्रेटजी तक, एआई तेजी से मानवीय विशेषज्ञता को चुनौती दे रहा है।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस अब केवल दफ्तरों की बैकएंड मशीन नहीं रह गया है। यह उन पेशों में भी जगह बना रहा है जिन्हें कभी सबसे सुरक्षित और प्रतिष्ठित माना जाता था—डॉक्टर, वकील और कंसल्टेंट। मेडिकल स्कैन पढ़ने से लेकर कोर्ट केस तैयार करने और मल्टीनेशनल कंपनियों की रणनीति तय करने तक, एआई अब वही काम करने लगा है जिसके लिए पहले वर्षों की पढ़ाई और अनुभव चाहिए होता था।
Read in English -Is AI Quietly Replacing Doctors, Lawyers and Consultants? A Future Already Unfolding
क्या एआई सच में डॉक्टर और वकील की जगह ले सकता है?
स्वास्थ्य क्षेत्र में बदलाव सबसे ज्यादा नज़र आ रहा है। कई एआई टूल्स अब कैंसर जैसी बीमारियों का शुरुआती चरण में पता लगाने में उतनी ही सटीकता दिखा रहे हैं जितनी किसी अनुभवी विशेषज्ञ से उम्मीद की जाती है। भारत, अमेरिका और यूरोप में ऐसे कई पायलट प्रोजेक्ट चल रहे हैं जहां डॉक्टरों को एआई का “को-पायलट” बनाकर इस्तेमाल किया जा रहा है।
हालांकि आधिकारिक तौर पर कहा जाता है कि एआई डॉक्टरों को पूरी तरह नहीं बदलेगा, मगर इसकी गति और क्षमता यह साबित करती है कि भविष्य में यह संभव हो सकता है।
कानूनी क्षेत्र में भी एआई की एंट्री हो चुकी है। बड़े भाषा मॉडल अब लाखों केस लॉ और मिसालों पर ट्रेन हो रहे हैं। कई लॉ फर्म एआई से ड्राफ्ट तैयार करवा रहे हैं—वह काम जिसके लिए जूनियर वकीलों की महंगी फीस दी जाती थी। कुछ कंपनियां तो अब सीधे एआई “लीगल असिस्टेंट” का इस्तेमाल कर खर्च घटाने लगी हैं।
कंसल्टिंग फर्मों पर भी दबाव बढ़ रहा है। एआई अब भारी-भरकम डेटा एनालिसिस कर सकता है और जटिल रणनीतियों के सिमुलेशन भी चला सकता है। जहां इंसानी टीम को हफ्तों लगते थे, वहां एआई एक रात में नतीजे पेश कर देता है।
क्यों अहम है यह बदलाव?
अब तक तकनीकी बदलावों का असर क्लेरिकल और फैक्ट्री नौकरियों पर दिखता था। लेकिन अब एआई ने यह धारणा तोड़ दी है। जिन पेशों को सबसे “सेफ” माना जाता था, वही अब खतरे में हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इससे आय असमानता और बढ़ सकती है।
कुछ गिनी-चुनी टेक कंपनियां और निवेशक तो अमीर हो जाएंगे, लेकिन लाखों प्रोफेशनल्स की भूमिका घट सकती है।
दूसरी तरफ कुछ लोग मानते हैं कि एआई से विशेषज्ञता लोकतांत्रिक हो सकती है। यानी जो मेडिकल डायग्नोसिस या कानूनी सलाह पहले बहुत महंगी थी, वह अब आम लोगों तक भी पहुंच सकती है। चुनौती बस यही है कि इसका फायदा कौन उठाएगा और नियंत्रण किसके पास होगा।
असली सवाल क्या है?
क्या एआई वाकई डॉक्टर, वकील और कंसल्टेंट को पूरी तरह बदल देगा, या फिर उनके काम करने का तरीका ही नया होगा? इसका जवाब सरकारों, यूनिवर्सिटीज़ और इंडस्ट्री की रणनीतियों पर निर्भर करेगा। अगर सही नीतियां और ट्रेनिंग तैयार की गईं तो एआई मददगार साबित हो सकता है, लेकिन अगर नहीं तो आने वाले वर्षों में प्रोफेशनल वर्ल्ड पूरी तरह बदल सकता है।













