लंदन, 6 सितम्बर 2025 | पढ़ने का समय: 4 मिनट
सारांश:
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जनक कहे जाने वाले कंप्यूटर वैज्ञानिक ज्यॉफ्री हिंटन ने फिर एक कड़ी चेतावनी दी है। उनका कहना है कि AI कुछ लोगों को बेहिसाब अमीर बना देगा, लेकिन दुनिया की ज़्यादातर आबादी को और गरीब कर देगा। सवाल उठता है — क्या AI प्रगति का साधन है या असमानता का नया हथियार?
क्यों मानते हैं हिंटन कि AI बढ़ाएगा अमीरी-गरीबी का फासला
हिंटन ने एक ग्लोबल टेक्नोलॉजी फोरम में कहा कि मौजूदा AI रेस पर कुछ बड़ी टेक कंपनियों का कब्ज़ा है। जिनके पास पहले से ही पूंजी और डेटा है, वही इसका सबसे बड़ा फायदा उठाएंगे।
उन्होंने साफ कहा — असली खतरा सिर्फ नौकरियां खत्म होना नहीं है, बल्कि धन और ताकत का केंद्रीकरण है।
Read In English -Will AI Create Billionaires and Push the Rest into Poverty? Geoffrey Hinton’s Stark Warning
“AI सभी को बराबरी से फायदा नहीं देगा,” हिंटन ने कहा। “यह उन लोगों को और अमीर बनाएगा जो इसे नियंत्रित करते हैं, जबकि बाकी लोग पीछे छूट जाएंगे।”
आम कामगारों का भविष्य क्या होगा?
हिंटन के मुताबिक, अब तक मशीनें ज्यादातर दोहराए जाने वाले कामों को ही करती थीं। लेकिन AI का असर अलग है। यह अब क्रिएटिव, विश्लेषणात्मक और फैसले लेने वाली नौकरियों तक पहुंच चुका है।
चाहे वह कोडिंग हो, कॉल सेंटर हो, पत्रकारिता या लीगल रिसर्च — कई क्षेत्रों में असर दिखने लगा है।
इसका सीधा मतलब है कि लाखों लोग कम वेतन वाली नौकरियों की ओर धकेले जा सकते हैं, जबकि उनकी मेहनत का लाभ बड़ी कंपनियों के पास जाएगा।
इनोवेशन और असमानता की खींचतान
हिंटन की चिंता नई नहीं है। कई अर्थशास्त्री भी मानते हैं कि AI से उत्पादकता ज़रूर बढ़ेगी, लेकिन उसका फायदा अपने-आप आम जनता तक नहीं पहुंचेगा।
अगर सरकारें समय रहते नियम, टैक्स और वेल्थ री-डिस्ट्रिब्यूशन के उपाय नहीं करतीं तो समाज में अमीर-गरीब की खाई और चौड़ी हो सकती है।
कुछ विशेषज्ञ यूनिवर्सल बेसिक इनकम (UBI) जैसे विचार भी सुझा रहे हैं, ताकि नुकसान झेलने वाले लोगों को सहारा मिल सके।
क्या AI फिर भी दुनिया को बदलने की ताकत रखता है?
हिंटन का मानना है कि AI पूरी तरह बुरा नहीं है। यह स्वास्थ्य सेवाओं, जलवायु शोध और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में बड़ा बदलाव ला सकता है। लेकिन बिना सही नीतियों और नैतिक नियमों के, यही तकनीक गहरी असमानता भी ला सकती है।
उनके शब्दों में — असली सवाल यह है कि AI बराबरी का भविष्य बनाएगा या और ज्यादा विभाजित दुनिया?
