नई दिल्ली | तारीख: 24 जुलाई 2025 | ⏱️ पढ़ने का समय: 4 मिनट
Summary: कौशल विकास मंत्रालय का SOAR प्रोग्राम कक्षा 6 से 12 तक के बच्चों को AI की ताकत सिखाने का एक धमाकेदार प्लान है। ऑनलाइन और प्रैक्टिकल ट्रेनिंग के साथ ये पहल बच्चों को डिजिटल दुनिया का सुपरहीरो बनाने की कोशिश है। लेकिन सरकार इसे स्कूलों में लागू करने पर इतना जोर क्यों दे रही है? आइए, इसकी पूरी कहानी जानते हैं!
SOAR: स्कूलों में AI की क्रांति!
भारत अब डिजिटल दुनिया में पीछे नहीं रहना चाहता, और इसके लिए सरकार ने स्कूलों में ही AI की पढ़ाई शुरू करने का बड़ा कदम उठाया है। कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय (MSDE) ने 22 जुलाई 2025 को SOAR (Skilling for AI Readiness) प्रोग्राम लॉन्च किया, जो कक्षा 6 से 12 तक के बच्चों को AI की बेसिक और प्रैक्टिकल नॉलेज देगा। ये प्रोग्राम बच्चों को भविष्य की टेक्नोलॉजी के लिए तैयार करेगा और शिक्षकों को भी AI सिखाने में माहिर बनाएगा। लेकिन सरकार इसे स्कूलों में लागू करने पर इतना जोर क्यों दे रही है? चलो, इसकी वजहें और डीटेल्स खंगालते हैं!
Read In English: What’s the SOAR Programme? Why Is the Government Pushing AI in Schools?
SOAR प्रोग्राम क्या है?
- मकसद: SOAR (Skilling for AI Readiness) एक राष्ट्रीय पहल है, जो बच्चों को AI की बुनियादी समझ, प्रोग्रामिंग, और इसके जिम्मेदार इस्तेमाल की ट्रेनिंग देगी। इसका लक्ष्य है बच्चों को डिजिटल दुनिया में ग्लोबल लीडर बनाना।
- कौन शामिल?: कक्षा 6 से 12 के छात्र और उनके शिक्षक। इसमें तीन 15-घंटे के मॉड्यूल्स हैं—AI to Be Aware, AI to Acquire, और AI to Aspire। शिक्षकों के लिए 45-घंटे का खास मॉड्यूल, AI for Educators, भी है।
- क्या सीखेंगे?: मशीन लर्निंग, न्यूरल नेटवर्क, AI का रोज़मर्रा ज़िंदगी में इस्तेमाल, प्रोग्रामिंग की शुरुआत, साइबर सिक्योरिटी, AI में करियर, और AI का नैतिक उपयोग।
- कैसे पढ़ाया जाएगा?: ऑनलाइन कोर्सेज़ और प्रैक्टिकल वर्कशॉप्स के मिश्रण से। स्कूलों में AI लैब्स और AI क्लब्स को बढ़ावा दिया जाएगा।
- कहां से शुरू?: पहले चरण में जवाहर नवोदय विद्यालय, केंद्रीय विद्यालय, और CBSE स्कूलों में लागू होगा, फिर पूरे देश में फैलेगा।
सरकार क्यों दे रही इतना जोर?
- डिजिटल डिवाइड खत्म करना: SOAR का मकसद ग्रामीण और छोटे शहरों के बच्चों को AI की ताकत देना है, ताकि वो डिजिटल दुनिया में बराबरी से मुकाबला कर सकें। X पर @NENowNews ने इसे “डिजिटल डिवाइड को पाटने” की मास्टर चाल बताया।
- भविष्य की जॉब्स: 2027 तक भारत का AI मार्केट $17 बिलियन तक पहुंच सकता है। SOAR बच्चों को हाई-टेक जॉब्स और स्टार्टअप्स के लिए तैयार करेगा।
- NEP 2020 का सपना: नेशनल एजुकेशन पॉलिसी 2020 स्किल बेस्ड एजुकेशन पर जोर देती है। SOAR इसे हकीकत में बदलने का एक बड़ा कदम है।
- ग्लोबल रेस में आगे रहना: सिंगापुर, फिनलैंड जैसे देश स्कूलों में AI पढ़ा रहे हैं। भारत भी अपने बच्चों को ग्लोबल टेक्नोलॉजी रेस में लीडर बनाना चाहता है।
- लड़कियों को STEM में लाना: SOAR खासतौर पर लड़कियों को टेक्नोलॉजी में हिस्सेदारी बढ़ाने पर फोकस करेगा, ताकि जेंडर गैप कम हो।
क्या हैं चुनौतियां?
- इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी: ग्रामीण स्कूलों में कंप्यूटर लैब्स और इंटरनेट का अभाव एक बड़ा रोड़ा है।
- शिक्षकों की ट्रेनिंग: X पर @CodeGuruManoj जैसे यूज़र्स ने चिंता जताई कि बिना पर्याप्त AI ट्रेंड शिक्षकों के ये प्रोग्राम कैसे चलेगा?
- जागरूकता का अभाव: कई स्कूलों और पेरेंट्स को AI की अहमियत समझाने की ज़रूरत है।
लोगों का क्या मूड है?
X पर SOAR को “भारत के टेक भविष्य का गेम-चेंजर” बताया जा रहा है। @MSDESkillIndia ने इसे “दुनिया का सबसे बड़ा AI-रेडी स्टूडेंट नेटवर्क” बनाने का सपना दिखाया। केंद्रीय मंत्री जयंत चौधरी ने कहा कि अगले छह महीनों में भारत के स्कूली बच्चे AI को न सिर्फ सीखेंगे, बल्कि इसे रियल-वर्ल्ड प्रॉब्लम्स सॉल्व करने में इस्तेमाल करेंगे। लेकिन कुछ लोग चिंतित हैं कि बिना सही इन्फ्रास्ट्रक्चर के ये प्लान हवा-हवाई रह सकता है।
क्यों मचा है हंगामा?
SOAR प्रोग्राम सिर्फ एक स्कूल कोर्स नहीं, बल्कि भारत को 2047 तक ‘विकसित भारत’ बनाने का एक ज़रूरी कदम है। ये बच्चों को AI की ताकत देगा, ताकि वो हेल्थकेयर, एजुकेशन, और टेक्नोलॉजी जैसे फील्ड्स में ग्लोबल लेवल पर चमक सकें। अगर ये प्लान कामयाब रहा, तो भारत के लाखों बच्चे भविष्य की हाई-स्किल जॉब्स के लिए तैयार होंगे। लेकिन सवाल ये है—क्या सरकार इसे हर स्कूल तक पहुंचा पाएगी, या ये बस एक और बड़ा वादा बनकर रह जाएगा?
Also read:
AI के विकास के लिए सरकार ने खोला अपना खजाना, जानिए कितने करोड़ खर्च करेगा भारत IndiaAI मिशन पर