ब्रुसेल्स | 18 जुलाई 2025 | पढ़ने का समय: 3 मिनट
सारांश:
Meta ने यूरोपीय संघ की AI Code of Practice पर साइन करने से इनकार कर दिया है। कंपनी का कहना है कि यह नियम उसके AI इनोवेशन को धीमा कर सकते हैं और यह एक ‘ओवररीच’ है।
Meta ( Facebook) ने साफ तौर पर कह दिया है कि वह EU के AI Code of Practice को साइन नहीं करेगा। कंपनी का मानना है कि इस फ्रेमवर्क में कुछ ऐसे प्रावधान हैं जो AI के नवाचार को रोक सकते हैं।
क्या Meta को AI पर नियंत्रण से है घबराहट?
Meta ने इस नियम को “ओवररीच” करार दिया — यानी ऐसी कोशिश जो किसी संस्था की सीमा से बाहर है।
इससे पहले, Google, Microsoft और OpenAI जैसे कई दिग्गज कंपनियों ने इस कोड को स्वीकार कर लिया था। लेकिन Meta का कहना है कि इस तरह का स्वैच्छिक कोड, अगर बहुत सख्त हुआ, तो AI रिसर्च और कॉम्पिटिशन दोनों को नुकसान पहुंचा सकता है।
कंपनी ने यह भी जोड़ा कि वो AI के जिम्मेदार इस्तेमाल को लेकर प्रतिबद्ध है, लेकिन वह ऐसे किसी भी फ्रेमवर्क का हिस्सा नहीं बनेगी जो उसके लॉन्ग-टर्म AI विजन को बाधित करे।
मेटा का इनकार क्या संकेत देता है?
इस कदम से एक बात तो साफ हो जाती है: Big Tech कंपनियां AI को लेकर अंतरराष्ट्रीय रेगुलेशन से सहज नहीं हैं।
Meta जैसे प्लेटफॉर्म्स पर AI जनरेटेड कंटेंट, misinformation और privacy से जुड़ी चिंताएं पहले ही उठ चुकी हैं। ऐसे में यह इनकार यह दिखाता है कि Meta शायद अपने AI मॉडल्स को ज्यादा खुला और कम नियंत्रित रखना चाहती है।
ब्रुसेल्स में कई अधिकारी इस कदम से नाराज हैं। उनका मानना है कि Meta इस कोड को साइन न कर के AI ethics के प्रति अपनी जिम्मेदारी से पीछे हट रहा है।
इसका क्या मतलब है भारत और यूजर्स के लिए?
भारत में जहां अभी AI को लेकर स्पष्ट कानून नहीं हैं, वहां यह बहस महत्वपूर्ण हो जाती है। अगर Meta AI को बिना किसी रेगुलेशन के चलाना चाहता है, तो यूजर्स की privacy और content की सत्यता पर असर पड़ सकता है।
AI के आने वाले युग में, ये तय करना ज़रूरी होगा कि नवाचार के नाम पर जिम्मेदारी से समझौता न हो। और यह बहस अब सिर्फ यूरोप तक सीमित नहीं रहेगी।
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