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क्या AI मर्दों को छोड़ औरतों को नौकरी दे रहा है, क्या पढ़े लिखे मर्द बैठ जायँगे घर ?-नई रिसर्च ने मचाया हंगामा

Published On: July 23, 2025
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Indian office scene with a woman and man reviewing AI hiring results, showing a preference for women, with “AI Hiring Bias 2025” watermark.
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AI औरतों को नौकरी क्यों दे रहा? : AI औरतों को ज़्यादा पसंद कर रहा है? ये क्या माजरा है

आजकल AI हर जगह है—रिज्यूमे छांटने से लेकर इंटरव्यू के लिए लोगों को चुनने तक। लेकिन न्यूज़ीलैंड की एक रिसर्च ने सबको चौंका दिया। दावा है कि AI एक जैसे रिज्यूमे में औरतों को मर्दों से ज़्यादा चुन रहा है। सुनने में अजीब लगता है, ना? आइए, समझते हैं कि ये मामला क्या है और लोग इस पर इतना हल्ला क्यों मचा रहे हैं।

Read In English: Is AI Secretly Picking Women for Jobs? Educated Men Left Sitting Jobless? -A New Study’s Got Everyone Talking
क्या AI मर्दों को छोड़ औरतों को नौकरी दे रहा है, क्या पढ़े लिखे मर्द बैठ जायँगे घर ?-नई रिसर्च ने मचाया हंगामा

रिसर्च में क्या निकला?

न्यूज़ीलैंड इंस्टीट्यूट ऑफ स्किल्स एंड टेक्नोलॉजी के प्रोफेसर डेविड रोज़ाडो ने 22 AI मॉडल्स, जैसे चैटGPT और जेमिनी, पर टेस्ट किया। उन्होंने एक जैसे रिज्यूमे भेजे, बस नाम बदलकर लिंग का इशारा दिया। नतीजे?

  • AI ने बार-बार औरतों को मर्दों से ज़्यादा चुना।
  • जब रिज्यूमे में लिंग का कॉलम जोड़ा गया, तो औरतों की तरफ झुकाव और बढ़ गया।
  • ये क्यों हो रहा है, ये अभी साफ नहीं, लेकिन शायद AI का डेटा या उसकी कोडिंग में कुछ गड़बड़ है।

ऐसा क्यों हो रहा है?

AI का कोई पर्सनल दुश्मन तो है नहीं, लेकिन कुछ तो बात है। एक्सपर्ट्स का कहना है:

  • डेटा का खेल: AI ढेर सारे डेटा से सीखता है। अगर उसमें डायवर्सिटी को बढ़ावा देने का ज़ोर हो, तो शायद वो औरतों को ज़्यादा चुन रहा है।
  • नियमों का असर: कुछ AI को बराबरी बढ़ाने के लिए प्रोग्राम किया जाता है, लेकिन वो ज़्यादा ही स्मार्ट बनने की कोशिश कर रहे हैं।
  • बदलता माहौल: कंपनियां जेंडर गैप खत्म करने की बात कर रही हैं, और शायद AI उसी का नतीजा है।

क्यों है ये इतना बड़ा मुद्दा?

ये कोई छोटी-मोटी बात नहीं है—इससे नौकरियों का सीन बदल सकता है। अगर AI औरतों को ज़्यादा चुन रहा है, तो एक जैसे क्वालिफाइड मर्दों का नंबर पीछे रह सकता है। कुछ लोग कह रहे हैं कि इससे उन फील्ड्स में औरतों को मौका मिलेगा, जहां वो पहले कम थीं। लेकिन सवाल ये है—क्या ये निष्पक्ष है? अगर AI किसी को फेवर कर रहा है, तो वो चाहे कोई भी हो, बात तो गड़बड़ है।

दूसरा पहलू क्या है?

सब लोग “AI को औरतें पसंद हैं” वाली बात पर यकीन नहीं कर रहे। कुछ और बातें:

  • दुनियाभर में AI प्रोफेशनल्स में औरतें सिर्फ 22% हैं, तो कोई बड़ा फायदा तो नहीं दिख रहा।
  • जिन नौकरियों में औरतें ज़्यादा हैं, जैसे ऑफिस का काम, वो AI से सबसे ज़्यादा खतरे में हैं।
  • AI पहले भी मर्दों को फेवर करने या रेस के आधार पर भेदभाव करने के लिए बदनाम रहा है, तो ये बस उसी का नया रूप हो सकता है।

आगे क्या होगा?

ये स्टडी ने AI की निष्पक्षता पर बहस छेड़ दी है। जो कंपनियां AI से हायरिंग कर रही हैं, वो अब अपने सिस्टम को चेक कर रही हैं कि कहीं गड़बड़ तो नहीं। एक्सपर्ट्स जैसे रोज़ाडो कह रहे हैं कि AI के इस बर्ताव की और जांच होनी चाहिए। भारत में AI का मार्केट 2035 तक $1 ट्रिलियन का हो सकता है, तो इसको ठीक करना ज़रूरी है। क्या AI नौकरियों में बराबरी लाएगा, या बस एक पुरानी गड़बड़ी को नया रूप देगा? यही सवाल सबके दिमाग में है।

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