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क्या भारत ने खोज लिया AI के ‘हैलुसिनेशन’ का इलाज?

Published On: सितम्बर 17, 2025
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AI हैलुसिनेशन को सुलझाने में भारत की बढ़ती भूमिका
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नई दिल्ली | 17 सितम्बर 2025 | 3 मिनट पढ़ें

जब चैटजीपीटी या जेमिनी जैसे AI सिस्टम गलत लेकिन आत्मविश्वास से भरे जवाब देते हैं, तो इसे टेक दुनिया में “हैलुसिनेशन” कहा जाता है। अब ग्लोबल थिंक-टैंक SwissCognitive की रिपोर्ट कहती है कि भारत इस समस्या का बड़ा हल खोजने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक देशभर में कई स्टार्टअप्स और संस्थान ऐसे प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहे हैं जो AI के जवाबों को पहले से अधिक सही और भरोसेमंद बना सकते हैं।

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भारत AI हैलुसिनेशन में कैसे बढ़त ले रहा है?

रिपोर्ट के अनुसार भारतीय कंपनियां हाइब्रिड AI अप्रोच अपना रही हैं – यानी मशीन लर्निंग आउटपुट को फैक्ट-चेकिंग लेयर और भरोसेमंद डेटाबेस से क्रॉस-वेरिफाई किया जा रहा है। इससे गलत जवाबों की संभावना काफी घट रही है। हेल्थकेयर, लीगल सर्विस और कस्टमर सपोर्ट जैसे क्षेत्रों में यह तकनीक खासतौर पर उपयोगी मानी जा रही है।

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भारत की बढ़त का दूसरा बड़ा कारण है – बहुभाषी डाटा और विशाल टेक टैलेंट। 22 आधिकारिक भाषाओं और लाखों इंजीनियरों के साथ भारत के पास ऐसा डाटा है जिससे AI को विविध संदर्भों में सटीक जवाब देना सिखाया जा सकता है।

बिजनेस पर असर

कई भारतीय स्टार्टअप पहले ही “हैलुसिनेशन-फ्री” AI टूल बना रहे हैं। फिनटेक कंपनियां ऐसे AI असिस्टेंट टेस्ट कर रही हैं जो कॉम्प्लायंस query के सही जवाब दे सकें। एजुकेशन स्टार्टअप्स ऐसे AI ट्यूटर बना रहे हैं जो केवल वैरिफाइड अकादमिक सोर्सेस को ही रेफर करें। एक्सपर्ट्स मानते हैं कि ऐसे इनोवेशन भारत को ग्लोबल AI मार्केट में नई बढ़त दिला सकते हैं।

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SwissCognitive का कहना है कि यह सिर्फ तकनीकी चुनौती नहीं बल्कि भरोसे का सवाल है। जो देश AI के हैलुसिनेशन को स्केल पर ठीक कर देगा, वही AI अपनाने की अगली लहर का नेतृत्व करेगा।

बड़ी तस्वीर

जैसे-जैसे AI हमारे जीवन का हिस्सा बन रहा है, भरोसेमंद और सुरक्षित AI सिस्टम की मांग बढ़ेगी। भारत के पास मौका है कि वह ऐसी तकनीक बनाए जो दुनिया को और ज्यादा स्मार्ट और पारदर्शी AI दे सके।

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