नई दिल्ली, 25 अगस्त 2025 | पढ़ने का समय: 4 मिनट`
सारांश:
एलन मस्क ने OpenAI और Apple के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू की है। उनका आरोप है कि दोनों कंपनियां मिलकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के भविष्य को अपने हिसाब से मोड़ने की कोशिश कर रही हैं। यह विवाद अब AI की पारदर्शिता और नैतिकता पर एक बड़ी बहस छेड़ सकता है।
आखिर क्यों भड़के एलन मस्क?
टेस्ला और स्पेसएक्स के सीईओ एलन मस्क लंबे समय से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जिम्मेदार और पारदर्शी विकास की वकालत करते रहे हैं। लेकिन इस बार उन्होंने OpenAI और Apple पर एक गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि दोनों टेक दिग्गज गुप्त साझेदारी में काम कर रहे हैं। मस्क के मुताबिक, यह गठजोड़ AI को जनता से दूर ले जाकर कुछ चुनिंदा कंपनियों के नियंत्रण में डाल सकता है।
Read In English-Elon Musk Sues OpenAI and Apple: Why This Fight Could Reshape AI’s Future
उनका मानना है कि यदि ऐसा होता रहा तो AI तकनीक का उपयोग आम जनता के भले के बजाय केवल कॉर्पोरेट हितों को साधने के लिए किया जाएगा। यही वजह है कि उन्होंने इस मामले को अदालत तक ले जाने का फैसला किया है।
क्या दांव पर है AI का भविष्य?
इस मुकदमे के बाद बहस छिड़ गई है कि क्या वास्तव में बड़ी टेक कंपनियां AI को अपनी पकड़ में लेकर इसे एकाधिकार का जरिया बना रही हैं। आलोचकों का कहना है कि पारदर्शिता की कमी से समाज को मिलने वाले फायदे सीमित हो सकते हैं। वहीं, समर्थकों का मानना है कि सहयोग से AI और तेज़ी से विकसित हो सकता है।
मस्क की यह कानूनी कार्रवाई न सिर्फ OpenAI और Apple पर सवाल खड़े करती है बल्कि यह भी दर्शाती है कि आने वाले समय में AI का रास्ता कैसा होगा—खुला और पारदर्शी या फिर बंद और कॉर्पोरेट-नियंत्रित।
पहले भी ऐसे विवादों में घिरी है ऐप्पल
ऐप्पल पर पहले भी प्राइवेसी और डेटा शेयरिंग को लेकर सवाल उठ चुके हैं। इस बार मस्क का कहना है कि ऐप्पल ने ओपनएआई के साथ गुपचुप डील की है, जो आम यूज़र्स को बताए बिना एआई टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल के नियम बदल सकती है।
ChatGPT बना सबसे तेजी से बढ़ने वाला चैटबॉट
ओपनएआई का चैटबॉट ChatGPT अब तक का सबसे तेज़ी से बढ़ने वाला एआई टूल बन चुका है। इसकी पॉपुलैरिटी ही वह वजह है कि बड़ी टेक कंपनियां इसे अपने इकोसिस्टम से जोड़ने में लगी हैं।
OpenAI के लाभकारी संस्था बनने पर मस्क का विरोध
मस्क लंबे समय से ओपनएआई के बिज़नेस मॉडल पर सवाल उठाते रहे हैं। उनका कहना है कि कंपनी का “नॉन-प्रॉफिट” से “प्रॉफिट” संस्था बनना उसके मूल मकसद के खिलाफ है।
आगे क्या हो सकता है?
विशेषज्ञों का मानना है कि यह मुकदमा केवल एक कानूनी लड़ाई नहीं बल्कि एक संदेश भी है। यह दुनिया भर की सरकारों और टेक कंपनियों को याद दिलाता है कि AI सिर्फ मुनाफे का खेल नहीं है, बल्कि इसके पीछे मानवता का भविष्य भी जुड़ा है।

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