नई दिल्ली, 2 सितम्बर 2025 | पढ़ने का समय: 4 मिनट
सारांश:
अब दिल की बीमारियों की पहचान करने में डॉक्टरों को घंटों नहीं, बल्कि कुछ ही सेकंड लगेंगे। AI तकनीक से लैस एक स्मार्ट स्टेथोस्कोप मात्र 15 सेकंड में हृदय की गंभीर बीमारियों का पता लगा सकता है। यह खोज लाखों जिंदगियां बचाने में मददगार साबित हो सकती है।
चिकित्सा जगत में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का दायरा लगातार बढ़ रहा है। अब डॉक्टरों के लिए एक नया हथियार सामने आया है AI-संचालित स्टेथोस्कोप। यह डिवाइस पारंपरिक स्टेथोस्कोप से कहीं ज्यादा सटीक है और मरीज की धड़कनों का विश्लेषण कर केवल 15 सेकंड में हार्ट डिसीज का सुराग दे सकता है।
Read in English -Can an AI Stethoscope Really Spot Heart Disease in 15 Seconds? Doctors Say It Could Save Millions
विशेषज्ञों का मानना है कि समय रहते बीमारी पकड़ने से मौत की दर में भारी कमी आ सकती है। खासकर भारत जैसे देशों में, जहां दिल की बीमारियां लगातार बढ़ रही हैं, यह तकनीक एक क्रांतिकारी बदलाव साबित हो सकती है।
नया जमाना, नया स्टेथोस्कोप
स्टेथोस्कोप अब AI की ताकत से और भी स्मार्ट बन चुका है। 19वीं सदी से चला आ रहा यह उपकरण अब हार्ट फेल्योर, आर्टियल फिब्रिलेशन और वॉल्व डिजीज जैसी गंभीर समस्याओं की पहचान कुछ ही सेकंड में कर सकता है।
ट्रेडिशनल स्टेथोस्कोप जहां सिर्फ धड़कन और सांस की आवाज सुन पाता था, वहीं यह AI-पावर्ड स्टेथोस्कोप खून के प्रवाह में होने वाले मामूली बदलाव तक पकड़ सकता है।

कैसे करता है काम?
- मरीज की छाती पर डिवाइस रखा जाता है।
- यह दिल से निकलने वाले इलेक्ट्रिक सिग्नल्स और रक्त प्रवाह की आवाज रिकॉर्ड करता है।
- फिर AI एल्गोरिद्म उस डेटा का गहराई से विश्लेषण करता है।
- रिपोर्ट सीधे स्मार्टफोन ऐप पर मिलती है, जिससे डॉक्टर या मरीज तुरंत स्वास्थ्य की स्थिति जान सकते हैं।
रिसर्च ट्रायल्स में यह भी सामने आया है कि यह डिवाइस अनुमान लगा सकता है कि किसी व्यक्ति को अगले साल में हार्ट की कौन-सी बीमारी होने की संभावना है।
क्या सच में इतना कारगर है यह AI स्टेथोस्कोप?
रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस डिवाइस में उन्नत AI एल्गोरिदम लगाए गए हैं जो हार्टबीट की वेव्स को रिकॉर्ड कर तुरंत उसका विश्लेषण करते हैं। जहां सामान्य जांच में ECG, इकोकार्डियोग्राफी या अन्य टेस्ट में घंटों लग सकते हैं, वहीं यह AI स्टेथोस्कोप बिना किसी दर्द या जटिलता के त्वरित रिजल्ट दे देता है।
कई देशों में इसका ट्रायल हो चुका है और वहां यह साबित हुआ कि शुरुआती चरण में ही हार्ट डिजीज का संकेत देकर यह मरीज को सही समय पर इलाज दिलाने में मददगार है।
AI स्टेथोस्कोप: हेल्थकेयर सेक्टर पर क्या होगा असर?
यह डिवाइस ग्रामीण इलाकों में भी गेमचेंजर साबित हो सकता है, जहां डॉक्टरों और सुविधाओं की भारी कमी है। केवल एक पोर्टेबल स्टेथोस्कोप के जरिए गंभीर बीमारी का पता लगना न सिर्फ इलाज आसान बनाएगा बल्कि लाखों जिंदगियां भी बचा सकता है।
सरकारें और अस्पताल अब इस तकनीक को अपनाने पर विचार कर रहे हैं। अगर इसे व्यापक स्तर पर लागू किया गया तो भारत में कार्डियक हेल्थ की तस्वीर पूरी तरह बदल सकती है।
