नई दिल्ली | 19 सितंबर 2025 | 3 मिनट पढ़ें
संक्षेप:
भारत सरकार ने “इंडिया एआई मिशन” के तहत आठ नई कंपनियों और IIT बॉम्बे को चुना है जो 1-ट्रिलियन पैरामीटर वाला एआई मॉडल तैयार करेंगे। यह मॉडल भारतीय भाषाओं, कृषि, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है।
भारत ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के क्षेत्र में बड़ी छलांग लगाई है। “इंडिया एआई मिशन” के तहत सरकार ने आठ नई कंपनियों को जोड़ा है, जिनमें IIT बॉम्बे भी शामिल है। इनका काम होगा दुनिया के सबसे बड़े एआई मॉडलों में से एक – 1-ट्रिलियन पैरामीटर वाला मॉडल – तैयार करना।
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केंद्रीय आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने गुरुवार को प्रेस ब्रीफिंग में इसकी जानकारी दी। उन्होंने कहा,
“यह कदम भारत को एआई के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने और स्वदेशी एआई इकोसिस्टम खड़ा करने की दिशा में अहम है। हमारा लक्ष्य है कि ऐसा मॉडल बने जो भारतीय भाषाओं और डेटा को समझ सके।”
भारत की एआई में लीडरशिप की ओर बढ़त
यह 1-ट्रिलियन पैरामीटर मॉडल न केवल तकनीकी रूप से बड़ा कदम है बल्कि भारतीय संदर्भ में कई अहम समस्याओं का समाधान भी करेगा। कृषि उत्पादन का पूर्वानुमान, स्वास्थ्य जांच में सटीकता, व्यक्तिगत शिक्षा (Personalised Learning) और 22 आधिकारिक भाषाओं में अनुवाद जैसी सुविधाएं इसके जरिए संभव होंगी।
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सरकार ने हाल ही में $1.2 बिलियन का एआई कंप्यूटिंग इंफ्रास्ट्रक्चर भी लॉन्च किया है, जिसमें 24,000+ GPU शामिल होंगे। IIT बॉम्बे और प्रमुख भारतीय कंपनियों की भागीदारी इस बात का संकेत है कि इंडस्ट्री, शिक्षा और सरकार मिलकर इस मिशन को सफल बनाने के लिए काम कर रहे हैं।
भारत के लिए क्यों अहम है यह मॉडल
विशेषज्ञों का मानना है कि यह भारत का “ChatGPT मोमेंट” हो सकता है – एक ऐसा स्वदेशी मॉडल जो भारत की विविधता को समझे और चैटबॉट से लेकर एआई ट्यूटर तक सबकुछ चला सके। इसके साथ सेमीकंडक्टर और डाटा सेंटर सेक्टर में निवेश बढ़ेगा और हजारों नई नौकरियां पैदा होंगी।
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जैसे-जैसे वैश्विक एआई रेस तेज हो रही है, भारत का यह कदम उसे अमेरिका, चीन और यूरोप जैसे देशों के बराबर खड़ा करेगा। सरकार का लक्ष्य है कि इस मॉडल का पहला वर्जन 2026 में लॉन्च किया जाए।
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