बेंगलुरु | 15 सितंबर 2025 | पढ़ने का समय: 4 मिनट
सारांश:
Oracle ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए रिकॉर्ड $317 अरब के ऑर्डर हासिल किए हैं। यह कदम भारत के हाइपरस्केलर मार्केट और डिजिटल अर्थव्यवस्था को नई रफ्तार देने वाला माना जा रहा है।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की दौड़ में Oracle ने बड़ा दांव लगाया है और इसका सबसे बड़ा फायदा भारत को मिलने वाला है। कंपनी ने हाल ही में खुलासा किया कि उसने $317 अरब के AI इंफ्रास्ट्रक्चर ऑर्डर बुक कर लिए हैं – जो अब तक का सबसे बड़ा बैकलॉग है और यह दिखाता है कि दुनिया भर की कंपनियां तेजी से अपने वर्कलोड क्लाउड पर शिफ्ट कर रही हैं।
Read In English- Oracle’s $317B AI Orders Put India’s Cloud Growth in Overdrive
भारत इस बदलाव के केंद्र में है। पिछले दो सालों में Oracle ने देश में अपनी क्लाउड रीजन दोगुनी कर दी हैं। हैदराबाद और मुंबई में नई क्षमता जोड़कर वह बैंकिंग, टेलीकॉम और सरकारी प्रोजेक्ट्स की मांग पूरी कर रही है। AI वर्कलोड्स को तेज़ प्रोसेसिंग और कम लेटेंसी की जरूरत होती है, और स्थानीय डेटा सेंटर इस दिशा में बड़ा रोल निभा रहे हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि भारत AI क्लाउड डिप्लॉयमेंट के लिए सबसे पसंदीदा जगह बन रहा है। वजह सिर्फ कम लागत नहीं बल्कि सरकार की डिजिटल इंडिया पहल और इलेक्ट्रॉनिक्स व सेमीकंडक्टर के लिए मिल रहे प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव्स (PLI) भी हैं। ये कदम देश को न सिर्फ मैन्युफैक्चरिंग बल्कि एंटरप्राइज AI अपनाने में भी बढ़त दिला रहे हैं।
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Oracle की तिमाही-दर-तिमाही ग्रोथ यह भी दिखाती है कि भारतीय मार्केट में एंटरप्राइज AI के लिए तेज़ी से डिमांड बढ़ रही है। माइक्रोसॉफ्ट Azure, AWS और Google Cloud जैसी ग्लोबल कंपनियां भी तेजी से AI पार्टनरशिप कर रही हैं, लेकिन Oracle का फोकस खासतौर पर डेटाबेस-ड्रिवन AI एप्लिकेशन और एंटरप्राइज ऑटोमेशन पर है। यह रणनीति BFSI, हेल्थकेयर और लॉजिस्टिक्स जैसे सेक्टर्स में उसे बढ़त दिला सकती है।
नैसकॉम के अनुसार भारत का क्लाउड मार्केट 2027 तक $17 अरब तक पहुंचने का अनुमान है, जिसमें AI से जुड़े सर्विसेज सबसे बड़ा हिस्सा होंगी। Oracle के बैकलॉग से साफ है कि कंपनियां अब सिर्फ AI के साथ प्रयोग नहीं कर रही हैं, बल्कि इसे बड़े पैमाने पर अपनाने लगी हैं।
अगर यह योजना समय पर पूरी होती है, तो भारत वैश्विक AI इंफ्रास्ट्रक्चर हब बनने की दिशा में बड़ा कदम उठा सकता है। यह सिर्फ चैटबॉट्स और प्रेडिक्टिव एनालिटिक्स तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि स्मार्ट मैन्युफैक्चरिंग, डिजिटल पब्लिक सर्विसेज और रियल-टाइम फाइनेंशियल प्लेटफॉर्म्स को भी नई दिशा देगा।
