लोकेशन: लखनऊ, उत्तर प्रदेश |तारीख: 17 अगस्त 2025 |रीड टाइम: 4 मिनट
सारांश:
भारतीय रेलवे अब भविष्य की ओर कदम बढ़ा रहा है। जल्द ही वंदे भारत समेत कई ट्रेनों को बिना लोको पायलट चलाने की तैयारी है। यह बदलाव सबसे पहले उत्तर प्रदेश में लागू किया जाएगा, जिससे रेलवे के आधुनिकीकरण और यात्रियों की सुरक्षा पर बड़ा असर पड़ने वाला है।
यूपी में रेलवे क्यों कर रहा इतना बड़ा प्रयोग
भारतीय रेलवे लंबे समय से ऑटोमेशन और नई तकनीकों पर काम कर रहा है। अब खबर आई है कि वंदे भारत और कुछ अन्य ट्रेनों को बिना लोको पायलट चलाने की दिशा में काम शुरू हो चुका है। शुरुआत उत्तर प्रदेश से होगी, जहां रेलवे का सबसे बड़ा नेटवर्क मौजूद है और नई तकनीक को टेस्ट करने के लिए यह आदर्श जगह मानी जा रही है।
Read In English -Indian Railways Plans Driverless Vande Bharat: What’s Changing in UP?
इस बदलाव के पीछे दो बड़े कारण हैं। पहला – यात्रियों की सुरक्षा और ट्रेन संचालन की विश्वसनीयता बढ़ाना। दूसरा – रेलवे को आधुनिक बनाकर उसे वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाना।
कैसे दौड़ेंगी ट्रेनें बिना लोको पायलट?
नई प्रणाली में ट्रेनों को CBTC (कम्युनिकेशन बेस्ड ट्रेन कंट्रोल) और ऑटोमैटिक ट्रेन ऑपरेशन (ATO) तकनीक के जरिए नियंत्रित किया जाएगा। इसका मतलब है कि ट्रेन की गति, ब्रेक और ट्रैक बदलने जैसी प्रक्रियाएं कंप्यूटराइज्ड सिस्टम से संचालित होंगी।
फिलहाल मेट्रो ट्रेनों में यह तकनीक पहले से सफलतापूर्वक इस्तेमाल हो रही है। अब रेलवे इसे हाई-स्पीड और लंबी दूरी की ट्रेनों पर लागू करने जा रहा है।
यात्रियों को क्या मिलेगा फायदा?
यात्रियों के लिए यह कदम सिर्फ तकनीकी नहीं बल्कि अनुभव बदलने वाला साबित होगा।
- ट्रेनें समय से चलेंगी और देरी की संभावना कम होगी।
- सुरक्षा मानकों में सुधार होगा क्योंकि मानव त्रुटियों की संभावना लगभग खत्म हो जाएगी।
- यात्रा और भी आरामदायक और स्मूद होगी।
- भविष्य में टिकटिंग और ऑनबोर्ड सेवाओं में भी तकनीकी बदलाव देखने को मिल सकते हैं।
भारत के रेलवे मिशन को देगा नई रफ्तार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विज़न के तहत रेलवे को न सिर्फ आधुनिक बल्कि डिजिटल इंडिया के अनुरूप बनाने पर जोर है। यूपी में यह प्रयोग सफल रहा तो आने वाले वर्षों में पूरे देश में ट्रेनें बिना लोको पायलट दौड़ सकती हैं। इससे भारत का रेलवे सिस्टम दुनिया के सबसे आधुनिक नेटवर्क में शुमार हो जाएगा।
बड़ा सवाल: क्या लोको पायलटों की जरूरत खत्म हो जाएगी?
यहां सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या लोको पायलटों की नौकरियां खत्म हो जाएंगी? रेलवे सूत्रों का कहना है कि फिलहाल ऐसा नहीं होगा। लोको पायलट ट्रेनों में मौजूद रहेंगे, लेकिन उनकी भूमिका निगरानी और टेक्निकल कंट्रोल तक सीमित होगी। यानी तकनीक के साथ-साथ इंसानी दखल भी जारी रहेगा।
