स्थान: नई दिल्ली, भारत | तारीख: 15 अगस्त 2025 | पढ़ने का समय: 4 मिनट
सारांश: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की एक ताजा रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि जेनरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Generative AI) के इस्तेमाल से भारत के बैंकिंग सेक्टर की दक्षता में 46% तक सुधार हो सकता है। इसके साथ ही, यह तकनीक उन लोगों तक भी कर्ज और वित्तीय सेवाएं पहुंचा सकती है जो पारंपरिक बैंकिंग व्यवस्था से अब तक वंचित हैं।
RBI द्वारा जारी इस रिपोर्ट में बताया गया कि Generative AI न केवल बैंकिंग प्रक्रियाओं को तेज़ और सटीक बनाएगी, बल्कि ऑपरेशनल लागत में भी उल्लेखनीय कमी लाएगी। इससे बैंक अपनी सेवाएं दूर-दराज के ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में भी आसानी से पहुंचा पाएंगे।
Read In English- RBI Report: Generative AI Could Boost Banking Efficiency in India by Nearly Half
RBI की रिपोर्ट में क्या कहा गया?
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि कस्टमर सर्विस, लोन अप्रूवल, फ्रॉड डिटेक्शन और रिस्क मैनेजमेंट जैसे क्षेत्रों में AI के इस्तेमाल से बैंकिंग सेक्टर में क्रांति आ सकती है।
क्या अब तेज़ी से ग्रामीण भारत तक पहुंचेगी बैंकिंग सेवाएं
भारत में अब भी करोड़ों लोग ऐसे हैं जिनके पास बैंक खाता नहीं है या वे औपचारिक वित्तीय सेवाओं से दूर हैं। Generative AI की मदद से बैंकिंग सिस्टम डिजिटल और ऑटोमेटेड होकर उन लोगों तक पहुंच सकेगा, जिन तक शाखाएं खोलना मुश्किल था।
AI-आधारित चैटबॉट, वॉइस असिस्टेंट और लोकल लैंग्वेज सपोर्ट ग्रामीण उपभोक्ताओं को आसानी से बैंकिंग सेवाओं से जोड़ सकते हैं।
क्या क़र्ज़ वितरण में भी बदलाव आ सकता है
RBI के अनुसार, AI पारंपरिक क्रेडिट स्कोरिंग सिस्टम से हटकर वैकल्पिक डेटा (जैसे मोबाइल लेन-देन, सोशल मीडिया गतिविधि और यूटिलिटी बिल भुगतान) का इस्तेमाल करके लोन अप्रूवल कर सकती है। इससे छोटे कारोबारियों, किसानों और नए उद्यमियों को तेजी से कर्ज मिल सकेगा।
सुरक्षा और जोखिम प्रबंधन में सुधार भी सम्भव
Generative AI रियल-टाइम डेटा एनालिटिक्स और पैटर्न रिकग्निशन के जरिए धोखाधड़ी (Fraud) की घटनाओं को समय रहते पकड़ सकती है। इसके अलावा, यह बैंकों को रिस्क असेसमेंट में भी मदद करेगी, जिससे डिफॉल्ट के मामलों में कमी आएगी।
क्या है विशेषज्ञों की राय
बैंकिंग और टेक्नोलॉजी एक्सपर्ट्स का मानना है कि आने वाले 3–5 वर्षों में AI भारत के वित्तीय ढांचे को पूरी तरह बदल सकती है। हालांकि, इसके साथ डेटा प्राइवेसी, साइबर सिक्योरिटी और नैतिक उपयोग जैसी चुनौतियों को भी गंभीरता से देखना होगा।
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