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AI बन रहा Gen Z का नया Love Guru, युवाओं को दे रहा प्यार करने की सीख,माँ बाप की बड़ी चिंता

Published On: जुलाई 28, 2025
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Smartphone screen showing AI chatbot interface with heart icons and romantic texts, set against a vibrant Indian Gen Z cityscape with concerned parents in the background.
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स्थान: नई दिल्ली, भारत |तारीख: 28 जुलाई 2025| पढ़ने का समय: 3 मिनट

प्यार भरे मैसेज का जवाब कोई इंसान नहीं, बल्कि AI दे रहा हो, ये सुनकर चौंक गए ना? जी हाँ, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) अब भारत में Gen Z का नया लव गुरु बन रहा है। Replika और ChatGPT जैसे चैटबॉट्स डेटिंग टिप्स से लेकर ब्रेकअप सलाह तक दे रहे हैं। लेकिन क्या मशीनें वाकई प्यार की गहराई समझ सकती हैं? आइए, इस देसी ट्विस्ट की पड़ताल करें।

Article in English: AI Is Becoming Gen Z’s New Love Guru, Worrying Parents in India

AI कैसे बन रहा Gen Z का Love Guru

दिल्ली की 33 वर्षीय निकिता बताती हैं कि कैसे उन्होंने ब्रेकअप के बाद ChatGPT से इमोशनल सपोर्ट लिया। आज कई युवा इसे अपनी डिजिटल थेरपी मानते हैं।

भारत में अब AI टूल्स सिर्फ इंग्लिश ही नहीं, बल्कि हिंदी, तमिल और बंगाली जैसी भाषाओं में भी सलाह दे रहे हैं। हालिया सर्वे के अनुसार, 41% युवा AI से ब्रेकअप मैसेज लिखवाते हैं। कई लड़कियां डेटिंग ऐप्स पर अपनी प्रोफाइल को AI से ट्यून करवा रही हैं।

बदला है प्यार का तरीका?

  • डेटिंग में देसी स्वैग: भारत का Gen Z AI का इस्तेमाल डेटिंग ऐप्स पर कूल प्रोफाइल बनाने और फ्लर्टी मैसेज ड्राफ्ट करने में कर रहा है। 2024 के एक सर्वे के मुताबिक, 45% युवा AI से चैट स्टार्टर्स और ब्रेकअप टेक्स्ट तैयार करते हैं, खासकर लड़कियां इस मामले में आगे हैं।
  • दिल की बात, बिना डर: AI बिना जज किए सुनता है, जो Gen Z को खुलकर अपनी फीलिंग्स शेयर करने का मौका देता है। दिल्ली की 22 साल की अनन्या ने बताया कि ChatGPT ने उसे ब्रेकअप के बाद इमोशनल बैलेंस बनाने में मदद की।
  • भारत के लिए खास: AI टूल्स अब हिंदी, मराठी और बंगाली में जवाब दे रहे हैं, जिससे देसी यूजर्स के बीच उनकी पॉपुलैरिटी बढ़ रही है। IPL चैट्स से लेकर लोकल मीम्स तक, ये AI भारत के मिजाज को समझता है।
  • 24/7 दोस्त: चाहे रात के 2 बजे हों, AI हमेशा तैयार है सलाह देने को—चाहे वो रिलेशनशिप ड्रामा हो या क्रश को इम्प्रेस करने की ट्रिक।

लेकिन सावधान, ये सिर्फ मशीन है! हर सलाह भरोसेमंद नहीं

मुंबई की साइकियाट्रिस्ट डॉ. नेहा मेहता कहती हैं कि AI इमोशंस की गहराई को पूरी तरह नहीं पकड़ सकता। भारत में, जहां रिश्तों में परिवार और संस्कृति का दबाव होता है, वहीँ AI पर ज्यादा भरोसा असली दोस्तों और रिश्तों से दूरी बढ़ा सकता है।माँ बाप को अपने बच्चो को समझने और उनसे बात करने की आवश्य्कता है , ध्यान दे कहीं आपके बच्चे अपना साथी चुनने में Ai की सलाह न ले रहे हो|

AI एक्सपर्ट्स भी यही मानते मानते हैं कि मशीनो को पर्सनल स्पेस से दूर रखना ही बेहतर है, न्यूयॉर्क की AI साइंटिस्ट डॉ. प्रिया शर्मा कहती हैं कि AI इमोशंस को महसूस नहीं कर सकता और इमोशंस ही रिश्तो को मजबूत बनाते है, खासकर भारतीय सामाजिक-सांस्कृतिक परिदृश्य में।

Gen Z का ये कदम क्या प्यार का भविष्य है?

90 करोड़ स्मार्टफोन यूजर्स वाले भारत में, AI Gen Z के लिए प्यार का नया साथी बन रहा है। ये टूल्स अकेलेपन से जूझ रहे युवाओं के लिए मददगार हैं, लेकिन प्यार की असली गहराई को कोई मशीन नहीं समझ सकती। क्या AI भविष्य में Gen Z के रिश्तों को और मजबूत करेगा, या सिर्फ एक डिजिटल क्रश बनकर रह जाएगा? वक्त बताएगा।

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