Washington DC / Pune|📆 Date: 27 July 2025|⏱️ Read Time: 4 मिनट
Summary: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) आधारित मौसम पूर्वानुमान प्रणाली अब पहले से कहीं ज़्यादा तेज़ और सटीक हो गई है। यह तकनीक केवल जानकारी देने तक सीमित नहीं है ,यह आपदा प्रबंधन, कृषि सुरक्षा और शहरी योजना जैसे क्षेत्रों में बड़ा बदलाव ला सकती है। खासकर भारत जैसे देश में, जहां मौसम की मार अक्सर अचानक पड़ती है, वहां यह बदलाव जीवन रक्षक साबित हो सकता है।
अमेरिका NOAA AI मॉडल :Ai अब बताएगा कब बरसेगी बारिश और वो भी 6 घंटे पहले!
Article in english:Can AI Really Predict Weather Hours in Advance? USA’s New Tool Stuns Experts
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) अब सिर्फ रोबोटिक्स या चैटबॉट तक सीमित नहीं रहा. अब यह तकनीक मौसम की सटीक भविष्यवाणी में भी क्रांति लाने जा रही है. अमेरिका के नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (NOAA) ने एक एडवांस एआई तकनीक लॉन्च की है, जिससे आने वाले कुछ घंटों में मौसम का सटीक हाल पहले ही जानना संभव होगा
क्या है ये H3RC –High Resolution Rapid Refresh Cast तकनीक?
इस नई AI-आधारित प्रणाली का नाम है H3RC (High Resolution Rapid Refresh Cast). यह मौसम की भविष्यवाणी के लिए डेवलप किया गया एक हाई-रेजोल्यूशन सिस्टम है जो करीब 6 किलोमीटर तक की दूरी में मौसम के बदलावों को ट्रैक कर सकता है. खास बात यह है कि यह सिस्टम 1 से 6 घंटे पहले मौसम की सटीक जानकारी दे सकता है वह भी पूरी टेक्निकल डीटेल्स के साथ.
इस AI मॉडल को पिछले 3 सालों का डेटा फीड करके ट्रेन किया गया है. इस बड़े डेटासेट ने सिस्टम को इतने सक्षम बना दिया है कि यह न सिर्फ तापमान और बारिश बल्कि तेज़ हवाओं और तूफानों का पूर्वानुमान भी पहले से दे सकता है.
Pune AI Forecast :भारत और दुनिया में क्या असर होगा?
भारत भी इस दिशा में पीछे नहीं है. पुणे स्थित एक प्रमुख संस्थान Indian Institute of Tropical Meteorology (IITM) in Pune ,AI आधारित मौसम मॉडल पर काम कर रहा है जो देश के गांव-देहात तक सटीक और समय रहते मौसम की जानकारी पहुंचा सकेगा.
वहीं यूरोप और चीन भी मौसम आधारित एआई टेक्नोलॉजी में तेज़ी से निवेश कर रहे हैं. साफ है कि अब मौसम विज्ञान में मानवीय अनुमान नहीं, बल्कि एआई की सटीक गणनाएं निर्णायक भूमिका निभाएंगी.
भारत का AI Weather Model: अब क्यों मायने रखता है यह बदलाव?
अगर मौसम की जानकारी 6 घंटे पहले और सटीक मिल जाए, तो किसानों को फसलों की सुरक्षा, यात्रियों को योजना बनाने, और सरकार को आपदा प्रबंधन में बड़ी मदद मिल सकती है. अमेरिका की यह पहल ग्लोबल वेदर सिस्टम को नई दिशा दे रही है और भारत जैसे देशों के लिए यह टेक्नोलॉजी आत्मनिर्भर मौसम सेवाओं की ओर एक मजबूत कदम है.
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